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Saturday, September 24, 2011

सड़कों पर घूमते पशु-दुर्घटना को न्यौता : तेजस्विनी




कमाएं आप और भुगते दूसरे...? नहीं चलेगा : तेजस्विनी

जी हां, इस रविवार तेजस्विनी निकली है ऐसे लोगों को सबक सिखाने जो लोग केवल अपने फ़ायदे की सोचते हैं और उससे होने वाली परेशानियों से उनको कोई मतलब नहीं होता। आमतौर पर देखा जाता है कि सड़कों और गलियों में जानवर बीच रास्ते पसरे रहते हैं और आने-जाने वाले परेशान होते रह्ते हैं। इस बीच अक्सर कई दुर्घटनाएं भी हो जाती है और कई बार गंभीर चोटें भी लग जाती हैं। सामान्यत: ये जानवर आवारा पशु लगते हैं लेकिन अगर थोड़ा बहुत खोजा जाए तो पता चलता है कि इनमें से ज़्यादातर पालतू हैं और वहीं कहीं आसपास उनका कोई ना कोई देखरेख करने वाला घूम रहा होता है लेकिन वो बेपरवाह रहता है, जैसे कि उसके जानवरों से आम आदमी को होने वाली दिक्क़तों से उसको कोई मतलब ही ना हो। बस ऐसे ही लापरवाह लोगों को सबक सिखाने आ रही है तेजस्विनी।

आखिर ऐसा क्या हुआ जो तेजस्विनी को घूमना पड़ा जानवरों के बीच? कौन है चमनलाल यादव? क्या कोई सुनेगा तेजस्विनी की ? आखिर क्या कर रहे हैं ज़िम्मेदार लोग ? जो जानवरों को केवल अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं और फिर सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं, क्या उन पशु पालकों को तेजस्विनी इस बार सबक सिखा पाएगी ? इन सब सवालों का हल जानने के लिए देखें ‘तेजस्विनी’, इस रविवार शाम 6:30 बजे, रायपुर दूरदर्शन पर।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के पहले फिक्शन सीरियल ‘तेजस्विनी’ का प्रसारण 18 सितम्बर से हर रविवार शाम 6:30 बजे किया जा रहा है। जिसके माध्यम से धारावाहिक की नायिका, लोगों को जागरुक करने निकली है और यह बात समझा रही है कि अपने हक़ के लिए आवाज़ उठानी ही पड़ेगी, वरना कोई आपकी आवाज़ नहीं सुनेगा। लोग केवल हसेंगे, बहुत हुआ तो थोड़ा अफ़सोस जताएंगे और निकल लेंगे लेकिन समस्या को हल करने के विषय में नहीं सोचेंगे। वे भूल जाते हैं कि अपनी ख़ुद की भी कुछ ज़िम्मेदारियां होती हैं। और अगर आप अपने अधिकार, कर्तव्य और परेशानियों की बात नहीं करेंगें तो किसी भी दूसरे को क्या ज़रूरत है कि आपके बारे में सोचे, आपकी परेशानियों और समस्याओं के बारे में सोचे ? इसलिए पहला क़दम तो आपको ही उठाना पड़ेगा और उसके बाद लोग आपसे जुड़ते चले जाएंगे। शायद इसीलिए शायर ने ख़ूब कहा है कि –



मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर
लोग मिलते ही गए और कारवां बनता गया



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