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Saturday, October 1, 2011

औरत टोनही नहीं : तेजस्विनी


जगत जननी नारी को हर युग में पूजनीय माना गया है। बावजूद इसके वह समाज में अपना वो मुकाम हासिल नहीं कर पाई जिसकी वो हक़दार है। महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में पुरूष के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर काम कर रही है मगर उसकी पुकार यही आती है कि मैं अबला हूंइसलिए मुझ पर जुल्म होते है। सवाल ये है कि कि महिला आज इस स्थिति के लिए क्या स्वयं ज़िम्मेदार नहीं है ? सवाल इस बात का है कि आधी आबादी को अबलाशब्द से मुक्ति दिलाने के लिए आखिर आगे आ चुकी महिलाओं ने क्या किया है ? घरेलू हिंसा से पीडित को बचाने के लिए, आखिर घर की ही दूसरी महिलाएं क्यों आगे नहीं आती ? जवाब में सिर्फ इतना सुनने में आता है कि हमें परम्पराओं व रिश्तों को बनाए रखने के लिए चुप करा दिया जाता है। लेकिन क्या इतना भर कह देना पर्याप्त है ? नहीं ! उसके लिए हमें आवाज़ उठानी होगी, आवाज़, अपने हक़ की, अपने अधिकार की, अपने सम्मान की, अपने स्वाभिमान की।

अस्पतालों व घरों में कन्या भूण की हत्या, कोई पुरूष नहीं बल्कि महिला चिकित्सक या दाई ही करती है। कहना ग़लत ना होगा कि जब तक लड़कियाँ पढ़ लिखकर जागरुक नहीं होगीं, तब तक सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का प्रयोग नहीं कर पाएगीं और न ही बनाए गए कानूनों को अपने हित में प्रयोग कर पाएगीं। प्रदेश के ही कुछ हिस्सों में अशिक्षा की वजह से महिलाएं लगातार घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं, टोनही के नाम पर प्रताडित की जा रही हैं और तमाम कानून बने होने के बावजूद उनका कोई लाभ नहीं ले पा रही हैं। सवाल यह भी उठता है कि क्या केवल कानून बना देने भर से हमारी ज़िम्मेदारी ख़त्म हो जाती है ?

धारावाहिक की इस कड़ी में पूरा गांव एक औरत को टोनही के नाम पर गांव से बाहर निकालने को आतुर है। उसे मारते हैं, उसके रिश्तेदार उस पर तरह-तरह के ज़ुल्मों-सितम ढ़ाते हैं, यहां तक कि उसका जीना हराम कर देते हैं। एक ऐसी महिला जिसका एक सुन्दर सा पति है, जो उसे बहुत प्यार करता है लेकिन अचानक वक़्त ने करवट ली और उस औरत की हंसती खेलती ज़िन्दगी एक कोढ़ बन गयी। जिस देश में औरत को देवी कहकर पूजा जाता है उसी देश में उसे टोनही का नाम देकर कलंकित किया जाता है। ऐसे में कहां से मिलेगा एक औरत को सम्मान का दर्जा ? कैसे जिएगी वो एक इज्ज़त की ज़िन्दगी ? कुछ ऐसे ही प्रश्नों को उठाती है तेज़ी से लोगों की चहेती बनती जा रही ‘तेजस्विनी’ ।

आखिर कौन है राजेश्वरी, क्या हुआ, रज्जो का ? क्या मिल सका रज्जो को न्याय? कहां गया उसका पति विजय ? क्या फिर से आबाद हो सकी रज्जो की ज़िन्दगी ? क्या उसके दोषियों को सज़ा मिल पाई ? क्या इस बार तेजस्विनी एक भोली-भाली मासूम औरत को उसका हक़ दिला पाएगी ? ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब जानने के लिए देखिए तेजस्विनी, इस रविवार शाम साढ़े छह बजे, रायपुर दूरदर्शन पर।




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